इस्कॉन में गुरु पूर्णिमा व गुरु का महत्व बताया
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रामनगर।इस्कॉन रामनगर द्वारा गुरु पूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया गया, इस्कॉन रामनगर प्रमुख मधुहा हरी दास ब्रह्मचारी द्वारा प्रामाणिक शास्त्रों से समझाया कि गुरु कौन होता है। गुरु की क्या अवश्यकता है। असली गुरु और नकली गुरु के विषय में शास्त्रों का क्या मत है। गुरु का शिष्य के प्रति कर्तव्य और शिष्य का गुरु के प्रति कर्तव्य। कौन गुरु बनने योग्य है और कौन शिष्य बनने योग्य है।ढोंगी गुरुओं की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है।उन्होंने अनेकों प्रश्नों के उत्तर शास्त्रों से दिया गया। इस्कॉन चैतन्य महाप्रभु की शुद्ध भक्ति मार्ग की ब्रह्म-माध्व – गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय की गुरु शिष्य परम्परा के अंर्तगत आता है। श्री चैतन्य महाप्रभु जो की स्वयं राधा कृष्ण का मिलन स्वरूप है और परम वैष्णव गुरु के रूप में आकर बताते हैं कि किस प्रकार कलयुग का जीव आसान से आसान तरीके से श्री राधा कृष्ण को सर्वाधिक प्रसन्न कर सकता है और भगवत धाम वापस जा सकता हैं और दूसरी तरफ यदि कोई व्यक्ति अवैष्णव से ज्ञान एवं दीक्षा प्राप्त करता है तो इसका ज्ञान एवं दीक्ष कोई भी गुरु या साधु जो शिष्य परम्परा में नहीं आता है, उसे निष्फल माना जाता है। इसलिए कलियुग में चार दिव्य व्यक्ति शिष्य विद्यालय स्थापित करने के लिए प्रकट होंगे। इ चार वैष्णव संप्रदायों के संस्थापक लक्ष्मी या श्री, ब्रह्मा, रुद्र और सनक ऋषि हैं, और कलियुग के आचार्य जो उनकी परम्परा का पालन करते हैं, वे उड़ीसा के पवित्र शहर पुरुषोत्तम में प्रकट होंगे।इसलिए गुरु की सबसे पहले योगिता है की वह चार वैष्णव परंपराओं में से एक से अवश्य होना चाहिए।हरिनाम संकीर्तन, महाआरती, भोजन महाप्रसाद का आयोजन भी इस्कॉन रामनगर द्वारा किया गया।इस दौरान आशीष वर्मा, अनुराग मेहरोत्रा, संजय अग्रवाल, सौरभ, गौरांग, वैभव, रोहित, कैलाश कांडपाल प्रभु, पियूष, कुणाल, सोनिया सत्यावली, कोपल अग्रवाल, ममता, देवकी तड़ियाल, माही मेहरा,कोमल,निकिता, सपना,यशिका, नीरजा अग्रवाल आदि भक्तगण मौजूद रहें
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