इंसानियत अभी जिंदा है यह मिसाल पेश की रामनगर के खुश छाबड़ा ने
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रामनगर।इंसानियत अभी “जिंदा है यह मिसाल कायम की रामनगर के खुश छाबड़ा ने” काशीपुर केहॉस्पिटल में रानीखेत निवासी सुलेमान कसार दस वर्षीय बेटी आफ़िया ब्लड के अभाव में जिंदगी और मौत से जूझ रही थी।आफ़िया का ब्लड ग्रुप( 0 नेगेटिव)था, यह ब्लड बहुत रेयर ग्रुप होने के कारण कम लोगों में मिलता हैं।आफ़िया का ब्लड ग्रुप रेयर होने पर काशीपुर में न मिलने पर परिजनों के हाथ पैर फूल गए। जिसको ब्लड देने की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल हुई ब्लड की आवश्यकता है, की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल होते ही रामनगर की समाजसेवी संस्था हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन व दया फाउंडेशन को मिली।दोनों संस्थाओं के पदाधिकारी खोजबीन कर रामनगर निवासी ख़ुश छावड़ा तक पहुचें।ख़ुश छावड़ा ने इंसानियत को ज़िंदा रखने को रात के 1 बजे रक्तदान करने को काशीपुर पहुचें।यहां उन्होंने आफ़िया के लिए 44वां रक्तदान किया। रामनगर के खुश छावड़ा ने कहा कि किसी की जिंदगी को बचाने के लिए अगर उसे खून देना पड़े तो उससे बड़ा पुण्य का काम दूसरा नहीं होता। यह सब देख कर हेल्पिंग हैंड फाउंडेशन के अध्यक्ष परवेज़ मालिक को शायर वसीम राजूपुरी के कहे अल्फाज याद आ गए। ख़ून नाहक़ बहाने से क्या फायदा, ख़ून अपना बचा कर रखो दोस्तों। दान कर दो जरूरत हो जिसको यहां, भाईचारा बनाकर रखो दोस्तों।
इस मौके पर हैल्पिंग हैंड फाउंडेशन के अध्यक्ष परवेज़ मलिक, आरिश सिद्दीकी, दानिस मलिक,दया फाउंडेशन के अध्यक्ष मोहित अग्रवाल,काशीपुर आयुष्मान ऐड ब्लड डोनर्स ग्रुप के अध्यक्ष जुबैर सिद्दीकी और आफ़िया के पिता सुलेमान ने छावड़ा का आभार व्यक्त किया।
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