मठपाल ने सामूहिक रचनात्मकता को बढ़ावा दिया-शेखर
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रामनगर।साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कुमाउनी के वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा दत्त मठपाल की पहली पुण्यतिथि पर दोदिवसीय कार्यक्रम के तहत पहले दिन कुमाउनी भाषा के वरिष्ठ विद्वानों ने उनको श्रद्धांजलि दी।
रविवार को नगरपालिका सभागार में कार्यक्रम की शुरुआत मथुरा दत्त मठपाल के चित्र पर पुष्पांजलि से हुई। इसके बाद भोर संस्था के संजय रिखाड़ी, अमित तिवारी, मानसी रावत ने मठपाल की कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति दी। उज्यावक दगड़ी ढेला की टीम की ज्योति फाल, प्राची बंगारी, कोमल सत्यवली, हिमानी बंगारी ने उत्तराखंड मेरी मातृभूमि समेत कई लोकगीत प्रस्तुत किए। स्व. मठपाल द्वारा निकाले जाने वाली पत्रिका दुदबोलि के नए अंक का विमोचन किया गया। प्रोफेसर शेखर पाठक ने कहा कि दुदबोलि अर्थात दूध की बोली जो हमारी मां से हमको मिली है,को कैसे बचाया जाए और नवसृजन की भाषा कैसे बनाया जाए ही मठपाल की चिंता का हमेशा विषय रहा। मठपाल ने अपनी व्यक्तिगत रचनात्मकता के साथ-साथ सामूहिक रचनात्मकता को जिस प्रकार बढ़ावा दिया, उसके लिए वह हमेशा याद रखे जाएंगे। कहा कि भाषाएं हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। भाषाई विविधता का संरक्षण और विस्तार कैसे हो, यह आज हमारी चिंता का विषय होना चाहिए। वरिष्ठ लोकभाषा साहित्यकार प्रयाग जोशी ने हमरि दुदबोलि, हमरि पछ्याण पर विचार रखते हुए कहा कि हमारी लोकभाषाएं ही हमारा अस्तित्व हैं, वही हमको बचाएंगी। धर्मेंद्र नेगी ने मठपाल की कविताओं का सस्वर पाठ किया। डॉ. गिरीश चंद पंत ने उपस्थित विद्वतजनों का स्वागत कियाया। वक्ताओं में कुमाउनी के वरिष्ठ कवि गोपाल दत्त भट्ट, उत्तर महिला पत्रिका की संपादक डॉ. उमा भट्ट, विप्लवी किसान पत्रिका के संपादक पुरुषोत्तम शर्मा, पहरू के संपादक हयात सिंह रावत, फिल्मकार पुष्पा रावत,पत्रकार राजीव लोचन शाह, नीरज बबाड़ी, डॉ. प्रभा पंत, जगदीश जोशी रहे। निखिलेश उपाध्याय व नवीन तिवारी के संयुक्त संचालन में सम्पन्न कार्यक्रम में घुघुती बासूती से हेम पंत, डीएन जोशी, प्रभात ध्यानी, भुवन पपनै आदि मौजूद रहे।
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