ब्रिगेडियर जसबीर सिंह बरार पुत्र स्वर्गीय ब्रिगेडियर बलवीर सिंह बरार का जन्म 15 मार्च 1951 को हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा आरआईएमसी देहरादून, उत्तराखंड में हुई थी। उसके बाद उनका चयन नेशनल डिफेंस एकेडमी खडकवासला में हो गया था। 20 फरवरी 1970 को उन्हें 4 कुमाऊं रेजीमेंट में कमिशन पद मिला। वे बचपन से ही बहुत बहादुर किस्म के थे। देश प्रेम और वीरता का जज्बा उनमें बचपन से ही भरा हुआ था।
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उन्होंने दुश्मन का दिलेरी से मुकाबला कर पाकिस्तान के 4 सैनिकों को मार गिराया था। इस भीषण युद्ध में ब्रिगेडियर जसबीर सिंह के पैर में गोली लगी थी। इसके अतिरिक्त भी उन्होंने पाकिस्तान पार से आए आतंकवादियों का कई बार डटकर मुकाबला किया था और कई आतंकवादियों को ढ़ेर किया था। ब्रिगेडियर जसबीर सिंह बरार की उत्कृष्ट वीरता और अदम्य साहस के लिए उन्हें दो बार महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया था।
ब्रिगेडियर जसबीर सिंह बरार 2004 में सेवानिवृत्त हुए थे। परंतु उसके पश्चात भी वे सेना से जुड़े रहे। कारगिल युद्ध में उन्होंने डिफेंस प्रवक्ता के रूप में उत्कृष्ट कार्य किया। ब्रिगेडियर जसबीर सिंह बरार एक अच्छे लेखक भी थे, उनकी लिखी दो किताबें “फाइटिंग फोर्थ” और रिफ्लैक्शन आफ कुमाऊं राइफल्स काफी चर्चित रही।
रामनगर स्थित विश्राम घाट पर माननीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट के प्रतिनिधि रूपेश बाटला, पुनीत बाटला, कर्नल आप द कुमाऊं रेजीमेंट लैफ्टीनेंट जनरल आर के कलीता, उत्तम युद्ध सेना पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेना पदक के प्रतिनिधि मेजर मुकेश यादव, सैंट्रल कमाण्डेण्ट कुमाऊं रेजीमेंट रानीखेत ब्रिगेडियर आईएस साम्याल, सूबेदार हरीश चन्द्रा, नायब सूबेदार गंगा सिंह एवं कुमाऊं रेजीमेंट के 20 जवानों, उत्तराखंड पूर्व सैनिक लीग रामनगर, हेमपुर अध्यक्ष एवं जिला सैनिक परिषद सदस्य सूबेदार मेजर नवीन चन्द्र पोखरियाल, पूर्व सैनिक कल्याण एवं उत्थान समिति रामनगर अध्यक्ष सूबेदार मेजर कुलवंत सिंह रावत, ब्लाक प्रतिनिधि रामनगर चन्द्र मोहन सिंह मनराल सहित कई अन्य पूर्व सैनिकों एवं जनप्रतिनिधियों ने पुष्पांजलि अर्पित कर ब्रिगेडियर जसबीर सिंह बरार (सेना पदक) को अंतिम सलामी अर्पित की।
ब्रिगेडियर जसबीर सिंह बरार के परिवार में पत्नी सबरीना सिंह, पुत्र विक्रम सिंह बरार एवं पुत्री कुमारी निम्मी हैं।